पारद शिवलिंग की महिमा, शिव का पारद रूप करे हर दु:ख दूर

पारद शिवलिंग की महिमा

शिव का पारद रूप करे हर दु:ख दूर

शिवलिंग का पूजन लाभप्रद तो है ही, साथ ही अगर शिव के पारद स्वरूप का विधि विधान से पूजन किया जाए, तो साधक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पारद शिवलिंग के रुद्राभिषेक को आज भी काफी चमत्कारी माना जाता है।

शिवलिंग भगवान् शिव का साक्षात विग्रह है। सोना, चांदी, तांबा, पारद आदि विभिन्न पदार्थों से बने शिवलिंग का पूजन अर्चन किया जाता है। लेकिन इनमें से पारद शिवलिंग को विशेष महत्ता प्राप्त है। शास्त्रों में कहा गया है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ों गुना अधिक फल पारद शिवलिंग के पूजन-दर्शन से प्राप्त होता है। इसके स्पर्श मात्र से जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं इसका विधिपूर्वक पूजन दैहिक, दैविक और भौतिक उन्नति का घोतक होता है। ऐसे चमत्कारी पारद शिवलिंगों के कुछ प्रमुख प्रयोग निम्नलिखित हैं।

ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर तीर्थ जल द्वारा नमक-चमक रुद्राभिषेक कराकर उस जल से लकवा के रोगी को स्नान कराने तथा वही जल पिलाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।

पारद शिवलिंग के रुद्राभिषेक जल द्वारा ब्लड कैंसर के रोगी को स्नान कराने तथा वही जल पिलाने और नित्य महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से काफी लाभ होता है।

अगर इस शिवलिंग के रुद्राभिषेक के बाद उस जल से क्षय रोगी को नहलाया जाए और उसी जल को पिलाया जाए तथा साथ ही 40 दिनों तक भगवान पारदेश्वर को 4-4 अमरुद चढ़ाकर रोगी को खिलाया जाएं, तो क्षय रोग दूर हो जाता है।

जिस घर में पारद शिवलिंग होता है उस घर की अनेक पीढ़ियां रिद्धि – सिद्धि और स्थायित्व की प्राप्ति होती है।

जो साधक अपने घर में नित्य पारद शिवलिंग का दर्शन पूजन करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर अनेक सिद्धियां और धन-धान्य प्राप्त कर सुख भोगता है।

ब्रह्मा वैवर्त पुराण के अनुसार विधि – विधान पूर्वक पारद शिवलिंग का एक बार भी पूजन करने वाले साधक को जीवन में धन, यश, मान सम्मान और संतान सुख मिलते हैं।

पारद शिवलिंग की पूजा करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य तथा अन्य मनोवांछित वस्तुओं की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।

4 किलो रुद्राभिषेक जल में 250 ग्राम नमक डालकर उबालें। जब पानी चौथाई रह जाए, तो उससे पीड़ा युक्त हाथ-पैरों को धोएं। कुछ ही दिनों में हाथ पैरों का दर्द जाता रहेगा।

प्रतिदिन प्रातःकाल खाली पेट सवा किलो रुद्राभिषेकित जल के साथ दो चम्मच त्रिफला चूर्ण खाने से स्त्रियों को कई परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है।

हृदय रोगी को रुद्राभिषेक जल पिलाने तथा उसके सीने पर उसी जल को लगाने से हृदयाघात की आशंका दूर हो जाती है।

“रत्न समुच्चय” के अनुसार पारद शिवलिंग की नियमित रूप से आराधना करने पर समस्त रोग आदि का नाश होता है।

“रसेंद्र चूड़ामणि” में कहा गया है कि रसलिंग ( पारद शिवलिंग) के स्थान पर मात्र “रस रस” कहने से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।

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